देश विदेश
गए थे तुम जिन दिनों नियागरा
उन दिनों हम घुमते थे आगरा
भ्रमण पर थे जिन दिनों तुम चीन में,
हमने भी कोचीन का था रुख करा
तुम गए जब टोकियो जापान में,
उन दिनों हम टोंक राजस्थान में
घूमते थे हम मसूरी पहाड़ पर,
जिन दिनों थे आप सूरीनाम में
आप रियो में थे तो रीवां में हम,
हम मनाली में थे तुम थे मनीला
केन्या में सफारी तुमने किया,
कान्हा में टाइगर हमको मिला
तुमने आबूधाबी में शोपिंग करी,
हमने आबू जी में जा ,दर्शन किया
उन दिनों हम लोग थे इन्दोर में,
जिन दिनों तुम गये इंडोनेशिया
आप थे दुबाई हम मुम्बाई में,
आप सिंगापूर, हम सिंगरूर में
हम भ्रमण करते रहे निज देश में,
और तुम घूमे विदेशी टूर में
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
गए थे तुम जिन दिनों नियागरा
उन दिनों हम घुमते थे आगरा
भ्रमण पर थे जिन दिनों तुम चीन में,
हमने भी कोचीन का था रुख करा
तुम गए जब टोकियो जापान में,
उन दिनों हम टोंक राजस्थान में
घूमते थे हम मसूरी पहाड़ पर,
जिन दिनों थे आप सूरीनाम में
आप रियो में थे तो रीवां में हम,
हम मनाली में थे तुम थे मनीला
केन्या में सफारी तुमने किया,
कान्हा में टाइगर हमको मिला
तुमने आबूधाबी में शोपिंग करी,
हमने आबू जी में जा ,दर्शन किया
उन दिनों हम लोग थे इन्दोर में,
जिन दिनों तुम गये इंडोनेशिया
आप थे दुबाई हम मुम्बाई में,
आप सिंगापूर, हम सिंगरूर में
हम भ्रमण करते रहे निज देश में,
और तुम घूमे विदेशी टूर में
मदन मोहन बहेती 'घोटू'
वाह,वाह!..बहुत बढ़िया व्यंग्य-कविता!...आभार!
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