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शनिवार, 14 अप्रैल 2012

तुम बदली पर प्यार न बदला

तुम बदली पर प्यार न बदला

घटाओं से बाल काले आज श्वेताम्बर हुए है

गाल चिकने गुलाबी पर झुर्रियां,सल पड़ गए है
हिरणी से नयन तुम्हारे, कभी बिजली गिराते
चमक धुंधली पड़ी ऐसी,छुप रहे ,चश्मा चढाते
और ये गर्दन तुम्हारी,जो कभी थी मोरनी सी
आक्रमण से उम्र के अब ,हुई द्विमांसल घनी सी
मोतियों सी दन्त लड़ी के,टूट कुछ मोती गये है
क्षीरसर में खिले थे जो वो कमल कुम्हला गये है
कमर जो कमनीय सी थी,बन गयी है आज कमरा
पेट भी अब फूल कर के,लटकता है बना दोहरा
पैर थे स्तम्भ कदली के हुए अब हस्ती पग है
अब मटकती चाल का,अंदाज भी थोडा अलग है
शरबती काया तुम्हारी,सलवती अब हो गयी है
प्यार का लेकिन खजाना,लबालब वो का वही है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!
    --
    संविधान निर्माता बाबा सहिब भीमराव अम्बेदकर के जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
    आपका-
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत ही भावपूर्ण और सुंदर रचना !

    जवाब देंहटाएं
  3. सही है...समय ने तस्वीर को बदल कर रख दिया है...पर प्यार तो वही का वही है!...सुन्दर रचना...आभार!

    जवाब देंहटाएं

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