आज तुम ना नहीं करना
जायेगा दिल टूट वरना
तुम सजी अभिसारिका सी,दे रही मुझको निमंत्रण
देख कर ये रूप मोहक, नहीं अब मन पर नियंत्रण
खोल घूंघट पट खड़ी हो,सजी अमृतघट सवांरे
जाल डोरों का गुलाबी ,नयन में पसरा तुम्हारे
आज आकुल और व्याकुल, बावरा है मन मिलन को
हो रहा है तन तरंगित,चैन ना बेचैन मन को
प्यार की उमड़ी नदी में,आ गया सैलाब सा है
आज दावानल धधकता,जल रहा तन आग सा है
आज सागर से मिलन को,सरिता बेकल हुई है
तोड़ सब तटबंध देगी, कामना पागल हुई है
और आदत है तुम्हारी,चाह कर भी, ना करोगी
बांह में जब बाँध लूँगा,समर्पण सम्पूर्ण दोगी
चाहता मै भी पिघलना,चाहती तुम भी पिघलना
टूट मर्यादा न जाये, बड़ा मुश्किल है संभलना
व्यर्थ में जाने न दूंगा,तुम्हारा सजना ,संवारना
केश सज्जा का तुम्हारी ,आज तो तय है बिखरना
आज तुम ना नहीं करना
जायेगा दिल टूट वरना
मदन मोहन बहेती'घोटू'
BCI राज्य बार कौंसिल में 30%महिला आरक्षण सुनिश्चित करे-सुप्रीम कोर्ट
-
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 4 दिसंबर 2025 को संकेत दिया कि वह उम्मीद करता है
कि
*बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) आगामी राज्य बार काउंसिल चुनावों में महिलाओं...
10 घंटे पहले
sundar post hae
जवाब देंहटाएं