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मंगलवार, 6 मार्च 2012

मै,तुम और चटपटी जिंदगी


 मै,तुम और चटपटी जिंदगी
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मै किचन में काम करती,
               सजन तुम मन में बसे हो
रसमलाई सी मधुर मै,
             चाट से तुम चटपटे  हो
मै स्लिम काजू की कतली,
              और मोतीचूर हो तुम
  मै जलेबी रसभरी और,
             प्रेम रस भरपूर हो तुम
मै पूरी की तरह फूली,
             तुम पंराठे से हो केवल
मै हूँ बिरयानी सुहानी,
             दो मिनिट के तुम हो नूडल
आलू की टिक्की महकती,
              मै हूँ,तुम हो गोलगप्पे
मै करारी सी कचोरी,
             तुम तिकोने से समोसे
तुम हो कटहल से कटीले,
            और मै लौकी लजीली
तुम हो चमचे,मै छुरी हूँ,
              तुम तवा हो मै पतीली
तुम कडाही  की तरह हो,
                और मै प्रेशर कुकर हूँ
गेस का चूल्हा सजन तुम,
               और मै तो लाइटर  हूँ
बाटियों सी स्वाद हूँ मै ,
                 और तड़का दाल हो तुम
मै सजी थाली परोसी,
                 और टपकती लार हो तुम
मै हूँ धनिया तुम पुदीना,
                 बनी चटनी जिंदगी है
प्यार झगडे के मसाले,
                इसलिए ये चटपटी है


मदन मोहन बाहेती 'घोटू' 

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