आओ हम होली मनाये
मेट कर मन की कलुषता,प्यार की गंगा बहाये
आओ हम होली मनाये
अहम् का जब हिरनकश्यप,प्रबल हो उत्पात करता
सत्य का प्रहलाद उसकी कोशिशों से नहीं मरता
और ईर्ष्या, होलिका सी,गोद में प्रहलाद लेकर
चाहती उसको जलाना,मगर जाती है स्वयं जल
शाश्वत सच ,ये कथा है,सत्य कल थी,आज भी है
लाख कोशिश असुर कर ले,जीतता प्रहलाद ही है
सत्य की इस जीत की आल्हाद को ऐसे मनाये
द्वेष सारा,क्लेश सारा, होलिका में हम जलायें
भीग जायें, तर बतर हो ,रंग में अनुराग के हम
मस्तियों में डूब जाये, गीत गायें ,फाग के हम
प्यार की फसलें उगा,नव अन्न को हम भून खायें
हाथ में गुलाल लेकर ,एक दूजे को लगायें
गले मिल कर,हँसे खिलकर,ख़ुशी के हम गीत गाये
आओ हम होली मनाये
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
भारतीय न्याय संहिता 2023 - धारा 2 (2) (3)- भाग - 4
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कल हमने आपको बताया भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 2 (1) के बारे में,
जिसमें भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 33 को आंशिक रूप से समाहित किया गया
है. आज ह...
9 घंटे पहले
very nice.....
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