बहुत तुम जुल्म ढाती हो
जो बोसा लूं,चुभे खंजर,
लूं चुम्बन काट खाती हो
जो मै लूं हाथ हाथों में,
मुझे नाख़ून चुभाती हो
जो फेरूँ हाथ जुल्फों पर ,
तो हेयरपिन मुझे चुभते,
बहुत तुम जुल्म ढाती हो,
जब मेरे पास आती हो
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
उस सन्नाटे के पीछे तब
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उस सन्नाटे के पीछे तबजहाँ शब्द साथ न देते हों जब सूना-सूना अंबर हो, घन का
कतरा भी नहीं एक जो ढक लेता है सूरज को !उस ख़ालीपन को जो भर दें भावों का
भी अभा...
5 घंटे पहले
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