घोटू के पद
मन,तू ,क्यों कूतर सा भागे
मन तू,क्यों कूतर सा भागे
मै तेरे पीछे दौडत हूँ,और तू आगे आगे
भोर भये तू शोर मचावत ,घर की देहरी लांघे
तेरी डोर ,हाथ मेरे पर, सधे नहीं तू साधे
इत उत सूँघत ,पीर निवारे,इधर उधर भटकाके
रहत सदा चोकन्ना पर तू,रखे मोहे उलझाके
'घोटू'स्वामिभक्त कहाये,निस दिन नाच नचाके
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
जब युद्ध में हो संवाद !
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जब युद्ध में हो संवाद घंटनाद मंदिरों के अब बन जाने दो सिहंनाद,आज वही युग
आया जब युद्ध में हो संवाद !जाग उठे अब जन-जन ऐसी रणभेरी बजने दो, क्रांति
बिगुल बजाए...
21 घंटे पहले
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