घोटू के पद
मन,तू ,क्यों कूतर सा भागे
मन तू,क्यों कूतर सा भागे
मै तेरे पीछे दौडत हूँ,और तू आगे आगे
भोर भये तू शोर मचावत ,घर की देहरी लांघे
तेरी डोर ,हाथ मेरे पर, सधे नहीं तू साधे
इत उत सूँघत ,पीर निवारे,इधर उधर भटकाके
रहत सदा चोकन्ना पर तू,रखे मोहे उलझाके
'घोटू'स्वामिभक्त कहाये,निस दिन नाच नचाके
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
उस सन्नाटे के पीछे तब
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उस सन्नाटे के पीछे तबजहाँ शब्द साथ न देते हों जब सूना-सूना अंबर हो, घन का
कतरा भी नहीं एक जो ढक लेता है सूरज को !उस ख़ालीपन को जो भर दें भावों का
भी अभा...
42 मिनट पहले
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