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गुरुवार, 7 मार्च 2013

बहुत तुम जुल्म ढाती हो

          बहुत तुम जुल्म ढाती हो

जो बोसा लूं,चुभे खंजर,
                    लूं चुम्बन काट खाती हो 
जो मै लूं हाथ हाथों में,
                     मुझे नाख़ून चुभाती  हो
जो फेरूँ हाथ जुल्फों पर ,
                      तो हेयरपिन मुझे चुभते,
बहुत तुम जुल्म ढाती हो,
                       जब मेरे पास आती हो

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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