पते की बात
अचरज
नहीं खबर है अगले पल की
पर डूबे , चिंता में,कल की
भाग दौड़ कर ,कमा रहे है
यूं ही जीवन ,गमा रहे है
जब कि पता ना,कल क्या होगा
इससे बढ़,अचरज क्या होगा
घोटू
1461
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*1-तुम धरा थीं/ * *शशि पाधा*
*तुम धरा थीं*
*तेरे आँचल से **बँधी थी*
*सारी प्रकृति*
*तुम आकाश थीं*
*तेरे आँगन में खेलते थे*
*सारे ग्रह-नक्षत्र*
*त...
2 घंटे पहले
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