खाते पीते नेता
देश के प्रेम की बातें हमें सिखाते है
छेदते है उसी थाली को,जहाँ खाते है
ये जो नेताजी,सीधे सादे से दिखाते है
बड़े खाऊ है,खूब रिश्वतें ये खाते है
है बिकाऊ,बड़े मंहगे में बिकाते है
हमने पूछा कि आप इतना पैसा खाते है
फिर भी क्यों आप सदा भूखे ही दिखाते है
छुपा के ये कमाई,कहाँ पर रखाते है
हमारी बात सुन,नेताजी मुस्कराते है
अजी हमारे स्विस कि बेंकों में खाते है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
अंधेरों का सफर- हाइकु संग्रह पर पाठकीय प्रतिक्रिया
-
पुस्तक - अंधेरों का सफर ( वृद्धावस्था पर केंद्रित हाइकु)
पृष्ठ - 111
मूल्य - 320.00 रुपये
प्रकाशक - अयन प्रकाशन, नई दिल्ली - 110059, मोबाइल - 9911313...
3 घंटे पहले
बहुत खूब |
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन, सुन्दर भावाभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंsateek ke sath sath yathrth bhi ...badhai Ravikar ji
जवाब देंहटाएंdhanywaad
जवाब देंहटाएं