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बुधवार, 11 अप्रैल 2012

खाते पीते नेता

खाते पीते नेता

देश के प्रेम की बातें हमें सिखाते है

छेदते है उसी थाली को,जहाँ खाते है
ये जो नेताजी,सीधे सादे से दिखाते है
बड़े खाऊ है,खूब रिश्वतें ये खाते  है
है बिकाऊ,बड़े मंहगे में  बिकाते है
हमने पूछा कि आप इतना पैसा खाते है
फिर भी क्यों  आप सदा भूखे ही दिखाते है
छुपा के ये कमाई,कहाँ पर रखाते  है
हमारी बात सुन,नेताजी मुस्कराते  है
अजी हमारे स्विस कि बेंकों में खाते है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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