मैं रख्खुँ ख्याल तुम्हारा ,तुम मेरा ख्याल रखो
तारीफ़ करे जो अपनी ,कुछ चमचे पाल रखो
हम राजनीती चमकायें ,रह कर के अलग दलों में
टोपी सफ़ेद मैं पहनू ,तुम टोपी लाल रखो
हम एक दुसरे दल के ,हो खुले आम आलोचक
पर आपस में मिल जाएँ ,यदि सिद्ध हो रहा मतलब
पाँचों ऊँगली हो घी में ,जब ऐसा मौका आये ,
तुम आधा माल मुझे दो खुद आधा माल रखो
मैं रख्खुँ ख्याल तुम्हारा ,तुम मेरा ख्याल रखो
हम तुम दोनों के दल में ,कोई भी हो पावर में
लोगों का काम करा कर ,बरसायें लक्ष्मी घर में
कोई भी घोटाले में ,ना आये नाम किसी का ,
ये लूटपाट का धंधा ,कुछ सोच सम्भाल रखो
मैं रख्खुँ ख्याल तुम्हारा ,तुम मेरा ख्याल रखो
है कमी कौन इस दल की उस दल की भी कमजोरी
थोड़ी तुमको मालुम है ,मालुम है मुझको थोड़ी
हम इसका लाभ उठायें ,ऊँचे पद पर चढ़ जाये ,
जब जरूरत हो मैं सीधी ,तुम उलटी चाल रखो
मैं रख्खुँ ख्याल तुहारा ,तुम मेरा ख्याल रखो
मदन मोहन बाहेती ;घोटू '