एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

पिरामिड और इंसान 

कहते है कि ऊँट जब पहाड़ के नीचे आता है 
तब ही वो अपनी औकात समझ  पाता है 
वैसी ही भावनाएं मेरे मन में हुई जाग्रत 
जब मैं मिश्र देश के पिरेमिड के पास खड़ा हुआ ,
मेरा अहम् हुआ आहत 
मैंने देखा कि इस विशाल ,भव्य संरचना के आगे ,
इंसान कितना अदना है 
फिर सोचा कि ये पिरेमिड भी तो ,
इंसान के हाथों से ही बना है 
इंसान का कद कितना ही छोटा क्यों न हो ,
यह उसके बुलंद हौसले और सोच का ही कमाल है
जिसने बनाया ये पिरेमिड बेमिसाल है 
जिसका एक एक पत्थर इंसान के आकार के बड़ा है 
और जो हजारों वर्षों से ,हर मौसम को झेलता हुआ ,
आज भी सर उठाये गर्व से खड़ा है 
दर असल ये विशाल पिरेमिड ,अदने से मानव के ,
मस्तिष्क की सोच की  महानता के सूचक है 
जिसके बल पर  वो पहुँच गया चाँद तक है 
आदमी का आकार  नहीं ,
ये उसकी सोच और जज्बे का बलबूता है 
जिससे वह कामयाबी की ऊँची मंजिलों को छूता है


मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 
 

4 टिप्‍पणियां:

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-