हमें डायबिटीज हो गयी है
तुम्हारे वादे गुलाबजामुन की तरह है
जिनमे न गुलाब की खुशबू है
न जामुन का स्वाद
सिंथेटिक मावे के बने गुलाबजामुन
हमें अब रास नहीं आयेगे
गुल हो गयी है भावनायें जिस मन की , ,
उसे गुलाबजामुन कहाँ भायेगे
तुम्हारे आश्वासनों के सड़े हुए ,
मैदे के खमीर से बनी
वादों की कढ़ाई में तली हुई
और टूटे हुए सपनो की चासनी में डूबी हुई
ये टेढ़ी मेढ़ी जलेबियाँ
इतने सालों से खिलाते आ रहे हो
अब नहीं खा पायेगे
क्योंकि हमारे लिये मीठा खाना वर्जित है
और मीठी मीठी बाते सुन सुन कर ,
हमें डायबिटीज हो गयी है
हमें खस्ता कचोडी खिलाने का वादा मत करो
हमारी हालत यूं ही खस्ता हो गयी है
तुम्हारे भाषण,प्याज के छिलकों की तरह
हर बार परत दर परत खुलते है
पर स्वाद कम ,आंसू ज्यादा लातें है
अब हमें मत बरगलाओ
तुम्हारा तो पेट भर चुका है
हो सके तो हमें
दो गिलास शुद्ध पानी मुहैया कराओ
क्योंकि पेट तो अब पानी से ही भरना पड़ेगा
अच्छे दिनों की आशा में हमें,
रोज यूं ही ,हंस हंस कर जीना और मरना पड़ेगा
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
बहुत खूब
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