पप्पू जी से
१
यूं तुम क्यों बिलबिलाते हो,हार की अपनी बरसी पे
दिये गम इतने दिन, आये चले अब मातमपुर्सी पे
आदमी बैठ कर कुर्सी पे अक्सर भूल जाता है,
उसी जनता जनार्दन को ,बिठाया जिसने कुर्सी पे
२
इंडिया और इटली में ,फरक इतना नज़र आता ,
यहाँ पर राम के चर्चे ,वहां पर रोम की चर्चें
बहुत मंहगा हमें पड़ता है संगेमरमर इटली का,
और इटली के पीज़ा के ,चौगुने दाम हम खर्चें
बहू इटली की लाना भी,बड़ा मंहगा पड़ा हमको,
हुआ है ऐसा पप्पू जो,रोज करता बखेड़ा है
यहाँ जनता जनार्दन सब,कुतुबमीनार सी सीधी ,
मगर पप्पू तो इटली के पीसाटावर सा टेढ़ा है
घोटू
१
यूं तुम क्यों बिलबिलाते हो,हार की अपनी बरसी पे
दिये गम इतने दिन, आये चले अब मातमपुर्सी पे
आदमी बैठ कर कुर्सी पे अक्सर भूल जाता है,
उसी जनता जनार्दन को ,बिठाया जिसने कुर्सी पे
२
इंडिया और इटली में ,फरक इतना नज़र आता ,
यहाँ पर राम के चर्चे ,वहां पर रोम की चर्चें
बहुत मंहगा हमें पड़ता है संगेमरमर इटली का,
और इटली के पीज़ा के ,चौगुने दाम हम खर्चें
बहू इटली की लाना भी,बड़ा मंहगा पड़ा हमको,
हुआ है ऐसा पप्पू जो,रोज करता बखेड़ा है
यहाँ जनता जनार्दन सब,कुतुबमीनार सी सीधी ,
मगर पप्पू तो इटली के पीसाटावर सा टेढ़ा है
घोटू