फ्लर्टिंग
१
मज़ा लैला और मजनू सी,मोहब्बत में नहीं आता
मज़ा मियां और बीबी की ,सोहबत में नहीं आता
चुगे या ना चुगे चिड़िया ,रहो तुम डालते दाना ,
मज़ा जो आता फ्लर्टिंग में ,कहीं पर भी नहीं आता
२
तुम्हारी हरकतों से वो,अगर जो थोड़ा हंसती है
कर रहे फ्लर्ट तुम उससे ,भली भांति समझती है
हंसी तो फंस गयी है वो,ग़लतफ़हमी में मत रहना ,
मज़ा उसको भी आता है ,वो टाइम पास करती है
३
देख कर हुस्न मतवाला ,तुम्हारी बांछें जाती खिल
लिया जो देख बीबी ने ,बड़ी हो जाएगी मुश्किल
जवानी देखते उसकी ,बुढ़ापा अपना भी देखो ,
कहेगी जब तुम्हे अंकल,जलेगा फिर तुम्हारा दिल
४
ये तुम्हारा दीवानापन ,ज़माना ताकता होगा
फलूदा होगी इज्जत जो,गये पकड़े,पता होगा
बड़ा छुप छुप के मस्ती में ,इधर तुम मौज लेते हो,
उधर घर में तुम्हारे भी ,पड़ोसी झांकता होगा
५
लड़कियां ना करती ,सीटियां यों बजाने से
रहो तुम मारते लाइन ,यूं ही पगले , दीवाने से
मिठाई की दुकानो में ,सिरफ़ तकने से क्या होगा ,
भरेगा पेट तुम्हारा ,रोटियां घर की खाने से
६
रहो तुम नाचते यूं ही,वो हंस हंस कर मज़ा लेगी
करोगे कोई ख्वाइश तो ,अंगूठा वो दिखा देगी
लड़कियों को पटाने का ,बड़ा सिंपल तरीका है,
उसे मत लिफ्ट दो बिलकुल ,वो खुद ही घास डालेगी
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
अच्छी रचना प्रस्तुत की है आपने।
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