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शनिवार, 16 मई 2015

जिव्हा और नियंत्रण

         जिव्हा और नियंत्रण

दिन भर चलती ही रहती है,तरह तरह की बात बनाती 
झगडे भी करवा  देती है ,कितनी बार फिसल भी जाती
बड़ी चटोरी  इसकी आदत,इसको स्वाद सभी में आता
खट्टा,मीठा,तेज,चरपरा,सब कुछ इसको बहुत सुहाता
अस्थिविहीना,चंचल,चपला,मुश्किल इस पर काबू करना
कभी उगलती,जहर हलाहल,और कभी अमृत का झरना
मैं इतना इसके बस में हूँ,और बेबस हूँ इसके आगे
कोई उपाय बता दे ऐसा ,जो इस पर लगाम लगवा दे
मैंने धर्म गुरु से पूछा ,तो गुरुवरजी  हंस कर बोले
मुझ से पूछ रहे हो इस पर करूं नियंत्रण,तुम हो भोले
सदवचनों का ये निर्झर है,सरस्वती बहती है इस से
सारे भजन ,कीर्तन,प्रवचन,ये ही करवाती है मुझ से
मुझको है ,सदगुरू बनाया ,ये सब है इसकी ही माया
जीवन में इसने ही मुझको ,नवरस का है स्वाद छकाया
सब को बस में कर लेती है, इसको करना आता जादू
मेरे बस की बात नहीं है ,इस पर कोई लगाम लगा दूँ
पंडितजी से पूछा ,बोले,मैं भी कुछ ना कर पाउँगा
वरना भोग,प्रसाद ,चढ़ावा,और श्राद्ध कैसे खाऊंगा
इधरउधर भटका ,कितनो से पूछा ,पर असमर्थ सभी थे
तभी ख्याल आया कि क्यों ना जाकर पूछूँ मोदीजी से
मोदीजी ने बात जब सुनी,तो वो हल्का सा मुस्काये
बोले समझूँ पीर तुम्हारी, पर तुम गलत जगह पर आये
ये है सबसे बड़ी नियामत ,जो कि प्रभु ने है मुझको दी
और बदौलत इसकी ही तो,मोदी आज बना है मोदी 
इसने ही तो ,अच्छे दिन के ,सपने लोगों को दिखलाये
इसने देश विदेशों में जा,  भारत के  डंके  बजवाये
परम प्रिया मेरी,मैं कुछ ना,यदि ये मेरे साथ नहीं है
इस पर कोई नियंत्रण करना ,मेरे बस की बात नहीं है
मुझको देख निराश,हंसी वो,बोली अकल तुम्हारी  मोटी
पूछ उपाय रहे हो उनसे ,जिनकी हूँ मैं  रोजी,रोटी
इतनी चंचल और बातूनी,ईश्वर ने है मुझे बनाया
करने मेरी पहरेदारी, बत्तीस  दांतों को बैठाया
वो भी ना कर सके नियंत्रित ,यदि चाहते ,काबू मुझ पर
मैं खुद काबू में आउंगी ,यदि काबू कर लोगे  खुद पर

मदन मोहन बाहेती'घोटू'  
 

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