भूकम्प
जब घर हिलता,तो घरवाले ,छोड़ छोड़ घर ,जाते बाहर
घरवालों के घर को छोड़े जाने से भी ,हिलता है घर
जो घर हमें आसरा देता , उसे छोड़ देते मुश्किल में
पहले फ़िक्र सभी को अपनी ,घर की कोई फ़िक्र न दिल में
पिता सरीखा ,घर संरक्षक ,और माता जैसी धरती है
यह व्यवहार देख बच्चों का ,ही धरती कांपा करती है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
जब घर हिलता,तो घरवाले ,छोड़ छोड़ घर ,जाते बाहर
घरवालों के घर को छोड़े जाने से भी ,हिलता है घर
जो घर हमें आसरा देता , उसे छोड़ देते मुश्किल में
पहले फ़िक्र सभी को अपनी ,घर की कोई फ़िक्र न दिल में
पिता सरीखा ,घर संरक्षक ,और माता जैसी धरती है
यह व्यवहार देख बच्चों का ,ही धरती कांपा करती है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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