तुम मेरी प्रियतम
तुम पूनम के चंदा जैसी ,अमृत बरसाती चंद्र किरण
प्राची की लाली से प्रकटी ,सूरज की रश्मि, प्रथम प्रथम
तुम्हारा प्रेम प्रकाश पुंज ,आलोकित करता है जीवन
मनभावन और मनोहर तुम ,सुन्दर ,सुंदरतर ,सुन्दरतम
है गाल गुलाब पंखुड़ियों से ,रस भरे अधर, रक्तिम रक्तिम
है कमलकली अधखुले नयन ,मदमाता सा चम्पई बदन
है पूरा तन रेशम रेशम ,और महक रहा चन्दन चन्दन
हो रही पल्ल्वित पुष्पों सी ,कोमल ,कोमलतर ,कोमलतम
उर में है युगल कलश अमृत ,संचित पूँजी यौवन धन की
पतली डाली,कमनीय कमर,निखरी निखरी छवि है तन की
हिरणी सी चपल चाल ,मनहर ,और चंचल चंचल सी चितवन
मन के कण कण में बसी हुई ,तुम मेरी प्रिय ,प्रियतर,प्रियतम
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
तुम पूनम के चंदा जैसी ,अमृत बरसाती चंद्र किरण
प्राची की लाली से प्रकटी ,सूरज की रश्मि, प्रथम प्रथम
तुम्हारा प्रेम प्रकाश पुंज ,आलोकित करता है जीवन
मनभावन और मनोहर तुम ,सुन्दर ,सुंदरतर ,सुन्दरतम
है गाल गुलाब पंखुड़ियों से ,रस भरे अधर, रक्तिम रक्तिम
है कमलकली अधखुले नयन ,मदमाता सा चम्पई बदन
है पूरा तन रेशम रेशम ,और महक रहा चन्दन चन्दन
हो रही पल्ल्वित पुष्पों सी ,कोमल ,कोमलतर ,कोमलतम
उर में है युगल कलश अमृत ,संचित पूँजी यौवन धन की
पतली डाली,कमनीय कमर,निखरी निखरी छवि है तन की
हिरणी सी चपल चाल ,मनहर ,और चंचल चंचल सी चितवन
मन के कण कण में बसी हुई ,तुम मेरी प्रिय ,प्रियतर,प्रियतम
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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