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शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

क्षणिकाएं

प्यार

तुम्हारे प्रति मेरा प्यार
वैसा ही है जैसे दाढ़ी के बाल
कितना ही करलो ;शेव '
रोज प्रकट होकर रहते है 'सेव '

जाल
 
पत्नियाँ ,अपने पति के आसपास ,
बुन लेती है एक  ख़ास
रूप का ,प्यार का ,मोहमाया का जाल
उसे तोड़ कर निकल जाय ,
नहीं है किसी पति की मजाल

भाग्य

किसी के पीछे मत भागो ,
चाहे लड़की हो ,चाहे पैसा आपको लुभाएगा
क्योंकि वो अगर आपके भाग्य  में है ,
तो भाग कर अपनेआप आपके पास आएगा

मित्र
 
जो आपके अच्छे दिनों में ,
आपके लिए सर के बल आने का करते है गरूर
वो आपके बुरे दिनों में ,
उलटे पैरों भाग जाते है आपसे दूर
सच्चे मित्र ,हर हाल में ,आपके साथ चलते है ,
आपका हाथ थामे नजर आते है जरूर

संतुलन

अनावृष्टी
सूख फैलाती है
 दुर्भिक्ष और कंगाली लाती है
अतिवृष्टी ,
बाढ़ का कहर ढाती है ,
परेशानी और बदहाली लाती है
संतुलित बरसात ही ,
प्यास  बुझाती  है
जीवन में खुशहाली  लाती है

संस्कार

संस्कार ,
आटे की गोल चपाती की तरह होते है
जो संस्कृति के अनुसार
कहीं परांठा
कहीं डोसा
कहीं पैनकेक
और कहीं पिज़्ज़ा कहलाते है
और प्रचलन के अनुसार सब्जी को ,
कहीं अलग से
कहीं भीतर भर कर ,
कहीं ऊपर छिड़क कर खाये जाते है

घोटू  

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