एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

सोमवार, 24 अगस्त 2020

एक तारा

 सूना सूना सा  जीवन था  ,मेरे मन की मीत  बनी तुम
तारा,तुम एकतारा बन कर ,जीवन का संगीत बनी तुम

मैं पतझड़ का सूखा तरु था ,तुम आयी तो विकसे किसलय
सुरभित हुआ हृदय का उपवन ,मेरे स्वर में आयी फिर लय
आहट  हुई मुस्कराहट की ,फिर से इन फीके  अधरों पर
फिर से मन उन्मुक्त गगन में ,लगा फड़फड़ाने ,अपने पर
हार गया मैं अपना सब कुछ ,ऐसी प्यारी जीत बनी तुम
तारा ,तुम एकतारा बन कर ,जीवन का संगीत बनी तुम

दग्ध हृदय को शीतलता दी ,और शीतल तन को दी ऊष्मा
अपना सारा प्यार उंढेला ,और  बरसा दी  तन की सुषमा
मुरझाई जीवन लतिका में ,नवजीवन संचार  हुआ फिर
एक दूजे को हुए समर्पित ,हम में इतना प्यार हुआ फिर
अब पल पल ,तुम्हारा संबल ,ऐसी जीवन रीत बनी तुम
तारा ,तुम एकतारा बन कर ,जीवन का संगीत बनी तुम

मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-