भजन
प्रभु आपके प्रेम में ,पागल मैं ,पगले से प्यार करोगे क्या
मैं फंसा हुआ मझधार मेरा ,तुम बेडा पार करोगे क्या
नारायण नाम पुकार रहा हूँ दुष्ट अजामिल के जैसा ,
गज हूँ मैं ,ग्राह के चंगुल में ,मेरा उद्धार करोगे क्या
मैं कुब्जा सा टेड़ा मेढा ,निकली मोह माया की कूबड़ ,
तुम मुझको ठोकर एक मार ,मेरा उपचार करोगे क्या
मैं छल की मारी अहिल्या सा ,निर्जीव शिला बन पड़ा हुआ ,
निज चरणों की रज से छूकर ,मेरा उद्धार करोगे क्या
मैंने शबरी से चख चख कर ,कुछ बैर रखे है चुन चुन कर ,
जूठे है ,लेकिन मीठे है ,इनको स्वीकार करोगे क्या
हे नाथ,अनाथ मैं अज्ञानी, भोग और विलास में डूब रहा ,
अब आया शरण आपकी हूँ ,भवसागर पार करोगे क्या
मदन मोहन बाहेती'घोटू '
प्रभु आपके प्रेम में ,पागल मैं ,पगले से प्यार करोगे क्या
मैं फंसा हुआ मझधार मेरा ,तुम बेडा पार करोगे क्या
नारायण नाम पुकार रहा हूँ दुष्ट अजामिल के जैसा ,
गज हूँ मैं ,ग्राह के चंगुल में ,मेरा उद्धार करोगे क्या
मैं कुब्जा सा टेड़ा मेढा ,निकली मोह माया की कूबड़ ,
तुम मुझको ठोकर एक मार ,मेरा उपचार करोगे क्या
मैं छल की मारी अहिल्या सा ,निर्जीव शिला बन पड़ा हुआ ,
निज चरणों की रज से छूकर ,मेरा उद्धार करोगे क्या
मैंने शबरी से चख चख कर ,कुछ बैर रखे है चुन चुन कर ,
जूठे है ,लेकिन मीठे है ,इनको स्वीकार करोगे क्या
हे नाथ,अनाथ मैं अज्ञानी, भोग और विलास में डूब रहा ,
अब आया शरण आपकी हूँ ,भवसागर पार करोगे क्या
मदन मोहन बाहेती'घोटू '
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।