ये बाल बेवफा होते है
कितना ही इनका ख्याल रखो
कितनी ही साजसम्भाल रखो
कितनी ही करो कदर इनकी
सेवा सुश्रमा , जी भर इनकी
हम सर पर इन्हे चढ़ा रखते
कोशिश कर इन्हे बड़ा रखते
अपना ही जाया ,जान इन्हे
हम कहते अपनी शान इन्हे
ये अपना रंग बदलते है
और साथ बहुत कम टिकते है
जैसे ही उमर गुजरती है ,
ये साफ़ और सफा होते है
ये बाल बेवफा होते है
ये बालवृन्द ,सारे सारे
होते ही कब है तुम्हारे
ये होते है औलादों से
रह जाते है बस यादों से
संग छोड़ कहीं ये उड़ जाते
कुछ संग रहते कुछ झड़ जाते
ये करते अपना रंग बदला
करते हमको ,गंजा ,टकला
अहसास उमर का करवाते
मुश्किल से साथ निभा पाते
ना रखो ख्याल,उलझा करते ,
ये खफा ,हर दफा होते है
ये बाल बेवफा होते है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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