एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

बुधवार, 22 जून 2016

सेंटिमेंटल बुढ्ढे

सेंटिमेंटल बुढ्ढे

ये बुढ्ढे बड़े सेंटिमेंटल होते है
जो बच्चे उन्हें याद तक  करते,
उन्ही की याद में रोते  है
ये बुढ्ढे बड़े सेंटिमेंटल होते है
ये ठीक है उन्होंने बच्चों को पाला पोसा ,
लिखाया ,पढ़ाया
आगे बढ़ाया
तो ऐसा कौनसा  अहसान कर दिया
यह तो उनका कर्तव्य था ,जब उनने जन्म दिया
अपने लगाए हुए पौधे को ,सभी सींचते है ,
यही सोच कर कि ,फूल खिले,फल आएं
सब की  होती है ,अपनी अपनी अपेक्षाएं
तो क्या बच्चे बड़े होने पर ,
श्रवणकुमार बन कर,
पूरी ही करते रहें उनकी अपेक्षाएं
और अपनी जिंदगी ,अपने ढंग से न जी पाएं
उनने अपने ढंग से अपनी जिंदगी जी है ,
और हमे अपने ढंग से ,जिंदगी करनी बसर है
हमारी और उनकी सोच में और जीने के ढंग में ,
पीढ़ी का अंतर है
उनके हिसाब से अपनी जिंदगी क्यों बिताएं
हमें पीज़ा पसंद है तो सादी रोटी क्यों खाएं
युग बदल गया है ,जीवन पद्धति बदल गयी है
हम पुराने ढर्रे पर चलना नहीं चाहते,
हमारी सोच नयी है
और अगर हम उनके हिसाब से  नहीं चलते है,
तो मेंटल होते है
ये बुढ्ढे बड़े सेंटिमेंटल होते है
हर बात में शिक्षा ,हर बात में ज्ञान  
क्या यही होती है बुजुर्गियत की पहचान
हर बात पर  उनकी रोकटोक ,
सबको कर देती है परेशान
आज की मशीनी जिंदगी में ,
किसके पास टाइम है कि हर बार
उन्हें करे नमस्कार
हर बात पर उनकी सलाह मांगे
उनके आगे पीछे भागे
अरे,उनने अपने ढंग से  अपनी जिंदगी बिताली
और अब जब बैठें है खाली
कथा भागवत सुने,रामायण पढ़े
हमारे रास्ते में न अड़े
उनके पास टीवी है ,कार है
पैसे की कमी नहीं है
तो राम के नाम का स्मरण करें ,
उनके लिए ये ही सही है
क्योंकि जिस लोक में जाने की उनकी तैयारी है ,
वहां ये ही काम आएगा
साथ कुछ नहीं जाएगा
और ऐसा भी नहीं कि हम ,
उनके लिए कुछ नहीं करते है
'फादर्स डे 'पर फूल भेजते है ,गिफ्ट देते है
त्योंहारों पर उनके चरण छूते  है
और फंकशनो में 'वीआईपी 'स्थान देते है
हमे मालूम है कि हम उनके लिए कुछ करें न करें ,
वे हमेशा हमे आशीर्वाद बरसाते  रहेंगे
हमारी परेशानी में परेशान नज़र आते  रहेंगे
उनकी कोई भी बददुआ हमे मिल ही नहीं सकती ,
क्योंकि ये बड़े जेंटल होते है
ये बुढ्ढे बड़े  सेंटिमेंटल होते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

1 टिप्पणी:

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-