सफलता के पेड़े
करने पड़ते पार रास्ते ,जग के टेढ़े मेढ़े
सहना पड़ते तूफानों के ,हमको कई थपेड़े
पग पग पर बाधायें मिलती अपनी बांह पसारे,
परेशान करते है हमको ,कितने रोज बखेड़े
अगर हौंसला जो बुलंद है,तो किसमे हिम्मत है,
एक बाल भी कोई तुम्हारा ,आये और उंखेडे
कहते,विद्या ना मिलती है,बिना छड़ी के खाये ,
कान तुम्हारे अगर गुरूजी ने जो नहीं उमेडे
सुखमय जीवन जीने का है यही तरीका सच्चा ,
शांत रहो, प्रतिकार करो मत,कोई कितना छेड़े
सच्ची लगन ,बलवती इच्छा और साहस हो मन में ,
तो फिर पार लगा करते है, आसानी से बेड़े
कितनी खटपट,कितने झंझट ,हमे झेलने पड़ते ,
तभी सफलता के मिलते है,खाने हमको पेड़े
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
करने पड़ते पार रास्ते ,जग के टेढ़े मेढ़े
सहना पड़ते तूफानों के ,हमको कई थपेड़े
पग पग पर बाधायें मिलती अपनी बांह पसारे,
परेशान करते है हमको ,कितने रोज बखेड़े
अगर हौंसला जो बुलंद है,तो किसमे हिम्मत है,
एक बाल भी कोई तुम्हारा ,आये और उंखेडे
कहते,विद्या ना मिलती है,बिना छड़ी के खाये ,
कान तुम्हारे अगर गुरूजी ने जो नहीं उमेडे
सुखमय जीवन जीने का है यही तरीका सच्चा ,
शांत रहो, प्रतिकार करो मत,कोई कितना छेड़े
सच्ची लगन ,बलवती इच्छा और साहस हो मन में ,
तो फिर पार लगा करते है, आसानी से बेड़े
कितनी खटपट,कितने झंझट ,हमे झेलने पड़ते ,
तभी सफलता के मिलते है,खाने हमको पेड़े
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।