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शनिवार, 25 जून 2016

बदलाव

               बदलाव

याद हमे वो कर लेते है ,तीज और  त्योंहारों में
ये क्या कम है ,अब भी हम ,रहते है उनके ख्यालों में
एक जमाना होता था जब  हम मिलते थे रोज ,
नाम हमारा पहला होता ,उनके चाहने वालो में
सच बतलाना ,कभी याद कर  ,वो बीते  लम्हे ,
क्या अब भी झन झन होती है ,दिल के तारों में
साथ समय के ,ये किस्मत भी ,रंग बदलती है ,
कितना परिवर्तन आता ,सबके व्यवहारों में
अब ना तो फूलों की खुशबू ,मन महकाती है,
और चुभन भी ना लगती है ,अब तो खारों में
समझ न आता ,मै बदला हूँ,या बदले है आप,
पर ये सच,बदलाव आ गया ,इतने सालों में

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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