भगवान क्यों हुआ पत्थर का
भगवान ने दुनिया को बनाया
उसे नदी,पर्वत और झरनो से सजाया
वृक्ष विकसाये ,पुष्प महकने लगे
तितलियाँ उड़ने लगी,पंछी चहकने लगे
और इसके बाद जब उसने इंसान को गढ़ा
तो उसे देख कर वह खुश हो गया बड़ा
उसके बाद उसने कुछ दिन तक विश्राम किया
और फिर अपनी सर्वोत्तम कृति ,
औरत का निर्माण किया
और उसे देख कर खुद मुग्ध हो गया विधाता था
बहुत कोशिश करता था उसे समझने की ,
लेकिन समझ न पाता था
पर एक दिन अचानक,ऐसी कुछ बात हो गयी
उसके बनाये आदमी की ,
उस औरत से मुलाक़ात हो गयी
और उनके बीच हो गया कुछ ऐसा आकर्षण
कि वो दोनों मिल कर ,तोड़ने लगे,
भगवान के बनाये हुए सब नियम
उन्होंने उसके बगीचे से तोड़ कर ,
खा लिया एक वर्जित फल
और उनमे आ गयी अकल
और फिर यह देख कर ईश्वर हो गया परेशान
जब वो दोनों मिल कर करने लगे,
खुद ही नर नारी का निर्माण
अपने कार्यक्षेत्र में इंसान की घुसपैठ देख ,
सर घूम गया ईश्वर का
उसको इतना झटका लगा ,
कि हो गया वो पत्थर का
घोटू
भगवान ने दुनिया को बनाया
उसे नदी,पर्वत और झरनो से सजाया
वृक्ष विकसाये ,पुष्प महकने लगे
तितलियाँ उड़ने लगी,पंछी चहकने लगे
और इसके बाद जब उसने इंसान को गढ़ा
तो उसे देख कर वह खुश हो गया बड़ा
उसके बाद उसने कुछ दिन तक विश्राम किया
और फिर अपनी सर्वोत्तम कृति ,
औरत का निर्माण किया
और उसे देख कर खुद मुग्ध हो गया विधाता था
बहुत कोशिश करता था उसे समझने की ,
लेकिन समझ न पाता था
पर एक दिन अचानक,ऐसी कुछ बात हो गयी
उसके बनाये आदमी की ,
उस औरत से मुलाक़ात हो गयी
और उनके बीच हो गया कुछ ऐसा आकर्षण
कि वो दोनों मिल कर ,तोड़ने लगे,
भगवान के बनाये हुए सब नियम
उन्होंने उसके बगीचे से तोड़ कर ,
खा लिया एक वर्जित फल
और उनमे आ गयी अकल
और फिर यह देख कर ईश्वर हो गया परेशान
जब वो दोनों मिल कर करने लगे,
खुद ही नर नारी का निर्माण
अपने कार्यक्षेत्र में इंसान की घुसपैठ देख ,
सर घूम गया ईश्वर का
उसको इतना झटका लगा ,
कि हो गया वो पत्थर का
घोटू
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