बरसात-तेरे साथ
१
जब भी बारिश की बूँदें छूती मेरा तन
मुझको आता याद तुम्हारा पहला चुम्बन
ऐसे भिगो दियां करती है ये मेरा तन
जैसे मन को भिगो रहा तेरा अपनापन
२
जब जब भी ये मौसम होता है बरसाती
साथ हवा के होती , हल्की बूंदा बांदी
हाथ पकड़ कर ,तेरे साथ भीगता हूँ जब ,
तब रह रह कर ,ये मन होता है उन्मादी
३
भीगी अलकों से बूँदें ,टपके ,बन मोती
मधुर कपोलों पर आभा है दूनी होती
आँचल भी चिपका चिपका जाता है तन से ,
जब ये बूँदें बारिश की है तुम्हे भिगोती
४
मौसम ,भीगा भीगा ,आग लगाता तन में
कितने ही अरमान ,भड़क जाते है मन में
मदिरा से ज्यादा मादक ,बारिश की बूँदें ,
रिमझिम रिमझिम जब बरसा करती सावन में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
१
जब भी बारिश की बूँदें छूती मेरा तन
मुझको आता याद तुम्हारा पहला चुम्बन
ऐसे भिगो दियां करती है ये मेरा तन
जैसे मन को भिगो रहा तेरा अपनापन
२
जब जब भी ये मौसम होता है बरसाती
साथ हवा के होती , हल्की बूंदा बांदी
हाथ पकड़ कर ,तेरे साथ भीगता हूँ जब ,
तब रह रह कर ,ये मन होता है उन्मादी
३
भीगी अलकों से बूँदें ,टपके ,बन मोती
मधुर कपोलों पर आभा है दूनी होती
आँचल भी चिपका चिपका जाता है तन से ,
जब ये बूँदें बारिश की है तुम्हे भिगोती
४
मौसम ,भीगा भीगा ,आग लगाता तन में
कितने ही अरमान ,भड़क जाते है मन में
मदिरा से ज्यादा मादक ,बारिश की बूँदें ,
रिमझिम रिमझिम जब बरसा करती सावन में
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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