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गुरुवार, 25 जून 2015

बरसात-तेरे साथ

         बरसात-तेरे साथ
                     १
जब भी   बारिश की  बूँदें छूती  मेरा तन
मुझको आता याद तुम्हारा पहला चुम्बन
ऐसे भिगो दियां करती है ये मेरा तन
जैसे मन को भिगो रहा तेरा अपनापन
                         २
जब जब भी ये मौसम होता है बरसाती
साथ  हवा के होती ,  हल्की  बूंदा बांदी
हाथ पकड़ कर ,तेरे साथ भीगता हूँ जब ,
तब रह रह कर ,ये मन होता है उन्मादी
                           ३
भीगी अलकों से बूँदें ,टपके ,बन मोती 
मधुर कपोलों  पर आभा है दूनी होती
आँचल भी चिपका चिपका जाता है तन से ,
जब ये बूँदें बारिश की  है तुम्हे  भिगोती
                             ४
मौसम ,भीगा भीगा ,आग लगाता तन में
कितने ही अरमान ,भड़क जाते है मन में
मदिरा से ज्यादा मादक ,बारिश की बूँदें ,
रिमझिम रिमझिम जब बरसा करती सावन में

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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