राजनीति
राजनीति तो है एक गहरा समन्दर
लोग मोती ढूंढते है इसके अंदर
कभी भी स्थिर नहीं रहता यहाँ जल
तरंगे उठती , सदा है यहाँ हलचल
है बड़ा खारा यहाँ का मगर पानी
कभी आता ज्वार भाटा या सुनामी
हुआ करते नित निराले खेल भी है
बहुत सारी शार्क भी है,व्हेल भी है
दांत जिनके तीखे है और बड़े जबड़े
रोज ही करते घोटाले और लफ़ड़े
कई मछुवारे यहां रोजी चलाते
डालते है जाल और मछली फंसाते
कुछ किनारे पर खड़े कुछ कर न पाते
कुशल गोताखोर मोती ढूंढ लाते
मगर इसमें लोग घुस पाते तभी है
नंगे होकर ,खोलते कपडे सभी है
जो है नंगे ,दांत जिनके शार्क से है
रत्नाकर ये बस उन्ही के वास्ते है
घोटू
राजनीति तो है एक गहरा समन्दर
लोग मोती ढूंढते है इसके अंदर
कभी भी स्थिर नहीं रहता यहाँ जल
तरंगे उठती , सदा है यहाँ हलचल
है बड़ा खारा यहाँ का मगर पानी
कभी आता ज्वार भाटा या सुनामी
हुआ करते नित निराले खेल भी है
बहुत सारी शार्क भी है,व्हेल भी है
दांत जिनके तीखे है और बड़े जबड़े
रोज ही करते घोटाले और लफ़ड़े
कई मछुवारे यहां रोजी चलाते
डालते है जाल और मछली फंसाते
कुछ किनारे पर खड़े कुछ कर न पाते
कुशल गोताखोर मोती ढूंढ लाते
मगर इसमें लोग घुस पाते तभी है
नंगे होकर ,खोलते कपडे सभी है
जो है नंगे ,दांत जिनके शार्क से है
रत्नाकर ये बस उन्ही के वास्ते है
घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।