ये ग़ालिब हो नहीं सकता
तुम्हारे गाल अच्छे है और लब भी खूबसूरत है ,
मगर ग़ालिब तुम्हे कह दूँ ,ये मुझ से हो नहीं सकता
मियां ग़ालिब का अंदाजे बयां सब से निराला था,
मगर अंदाज तुम सा भी ,किसी का हो नहीं सकता
बड़ा बेआबरू होकर तेरे कूचे से निकला हूँ ,
मैं कितनी बार ही लेकिन ,तुझे मैं खो नहीं सकता
दिले नादाँ के दर्दों की ,दवाई पूछता सबसे,
इश्क़ पर जोर ग़ालिब का भी देखो हो नहीं सकता
गालिबन रोज तुम गाली ,मुझे देती हो शेरों सी,
मैं कुत्ते सा हिलाता दुम ,शरम से रो नहीं सकता
हमारी फांकामस्ती ने,रंग क्या क्या दिखाये है ,
पकाता ,माँजता बर्तन पर कपडे धो नहीं सकता
घोटू
तुम्हारे गाल अच्छे है और लब भी खूबसूरत है ,
मगर ग़ालिब तुम्हे कह दूँ ,ये मुझ से हो नहीं सकता
मियां ग़ालिब का अंदाजे बयां सब से निराला था,
मगर अंदाज तुम सा भी ,किसी का हो नहीं सकता
बड़ा बेआबरू होकर तेरे कूचे से निकला हूँ ,
मैं कितनी बार ही लेकिन ,तुझे मैं खो नहीं सकता
दिले नादाँ के दर्दों की ,दवाई पूछता सबसे,
इश्क़ पर जोर ग़ालिब का भी देखो हो नहीं सकता
गालिबन रोज तुम गाली ,मुझे देती हो शेरों सी,
मैं कुत्ते सा हिलाता दुम ,शरम से रो नहीं सकता
हमारी फांकामस्ती ने,रंग क्या क्या दिखाये है ,
पकाता ,माँजता बर्तन पर कपडे धो नहीं सकता
घोटू
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