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बुधवार, 8 अक्टूबर 2014

तरक्की

              तरक्की

आँखों में सपने उमड़ने लगे है
अब लोग आगे भी बढ़ने लगे है
कदम चार चल के ही जाते थे थक जो,
वो अब पर्वतों पे भी ,चढ़ने लगे है
छोटे से गावों और कस्बों के बच्चे ,
अब 'आई आई टी' में पढ़ने  लगे है
रखा रिक्शेवालों ने ,मोबाइल नंबर ,
वो भी अब तो 'मार्केटिंग' करने लगे है
कल काम पर हम न आएंगे मेडम,
महरी के  मेसेज   मिलने लगे है
वो आया था कल ,ले मिठाई का डब्बा ,
पड़ोसी से रिश्ते ,सुधरने  लगे है
दिखी जब से नेता के हाथों में झाड़ू ,
सड़कों से पत्ते खुद उड़ने लगे है
आएंगे दिन अच्छे ,लगता है ऐसा ,
समय से अब दफ्तर जो खुलने लगे है

घोटू

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