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बुधवार, 8 अक्टूबर 2014

सुहागरात

           सुहागरात

आपने था किया,हमसे वादा डियर ,
         दिल में अपने रखोगे,सजा उम्र भर
बड़े अरमान से,तुमको मिलने को हम ,
           बैठे थे सेज पर ,हम बड़े सज ,संवर
आप आये भरे जोश,मदहोश से,
            हो रहे थे दीवाने ,बड़े बेसबर
मेरे कपडे सभी ,कर दिए बेकदर ,
            एक फेंका इधर,एक फेंका उधर
मेरा सजना,संवरना बस यूं ही गया,
          तुमने देखा भी ना,ये भी क्या बात है
दो घड़ी बैठ कर,प्यार से बोलते ,
           करते बातें ,ये पहली मुलाक़ात है 
हंस वो बोले यही,तुम हो इतनी हंसीं ,
            आज काबू में मेंरे , न जज्बात है
तुमको दिल में सजाने ,उम्र है पडी ,
           जानेमन,आज अपनी सुहागरात है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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