एक सन्देश-

यह ब्लॉग समर्पित है साहित्य की अनुपम विधा "पद्य" को |
पद्य रस की रचनाओ का इस ब्लॉग में स्वागत है | साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी |

सदस्यता को इच्छुक मित्र यहाँ संपर्क करें या फिर इस ब्लॉग में प्रकाशित करवाने हेतु मेल करें:-
kavyasansaar@gmail.com
pradip_kumar110@yahoo.com

इस ब्लॉग से जुड़े

बुधवार, 8 अक्टूबर 2014

शादी के दस्तूर

   शादी के दस्तूर

शादी के संस्कार में ,
होते है जितने भी दस्तूर
हर एक की ,कुछ न कुछ ,
अहमियत होती है जरूर
जैसे सगाई में अंगूंठी का पहनाना
लड़का ,लड़की की ऊँगली में ,
अंगूठी पहना कर कहता है ,
देख मुझे ऊँगली पर मत नचाना
और लड़की ,लड़के को अंगूठी पहना कर,
 कहती है ,मै कुछ भी करूं ,
तुम मेरी तरफ ऊँगली मत उठाना
शादी के पहले ,दूल्हे दुल्हन को ,
हल्दी चढ़ाई  जाती है
इसमें शरीर के चार पांच स्थानो पर,
तैल  में मिली ,हल्दी लगाईं जाती है
और इस तरह उन्हें किया जाता है  आगाह
बहुत ज्यादा खुश मत हो,करके ब्याह
क्योंकि शादीके बाद ,
किचनमे करना पडेगा काम 
और तेल और हल्दी के लगेंगे दाग तमाम
शादी के समय ,दूल्हे की सुरक्षा का ,
पूरा ध्यान भी है रखा जाता
और इसी चक्कर में दूल्हे का चेहरा ,
पहना कर सेहरा है ढका जाता
ये इस डर से,कि कहीं पहचान न  ले ,
उसकी वो सारी गर्ल फ्रेंड्स ,
जिनसे उसने किया था शादी का वादा 
फिर उसे घोड़ी पर बिठाया जाता है
एक बार फिर सोच समझ कर ,
भागने का मौका दिया   जाता है
कहीं दूल्हा भाग न जाए ,इस डर से,
दुल्हन की सहेलियां भी घबराती है
इसीलिये ,दूल्हे के जूते छुपाती है
और शादी के समय ,जब सात फेरे
है लगाए जाते
शुरू शुरू में दूल्हा रहता है आगे
पर बाद में दुल्हन ही लीड करती है
शादी के बाद भी ,शुरू मे थोड़े दिन,
दूल्हे का रौब चलता है ,
पर बाद में सारी उमर पत्नी की ही चलती है

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।

हलचल अन्य ब्लोगों से 1-