मै और मेरी मुनिया
तुम कहते हो बड़े गर्व से ,
मै अच्छा और मेरी मुनिया
कोई की परवाह नहीं है ,
कैसे,क्या कर लेगी दुनिया
पैसा नहीं सभी कुछ जग में ,
ना आटा ,या मिर्ची ,धनिया
सबका अपना अपना जीवन,
राजा ,रंक ,पुजारी,बनिया
कोई भीड़ में नहीं सुनेगा,
रहो बजाते,तुम टुनटुनिया
उतने दिन अंधियारा रहता ,
जितने दिन रहती चांदनियां
तन रुई फोहे सा बिखरे ,
धुनकी जब धुनकेगा धुनिया
ये मुनिया भी साथ न देगी,
जिस दिन तुम छोड़ोगे दुनिया
मदन मोहन बहेती'घोटू'
अंधेरों का सफर- हाइकु संग्रह पर पाठकीय प्रतिक्रिया
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पुस्तक - अंधेरों का सफर ( वृद्धावस्था पर केंद्रित हाइकु)
पृष्ठ - 111
मूल्य - 320.00 रुपये
प्रकाशक - अयन प्रकाशन, नई दिल्ली - 110059, मोबाइल - 9911313...
5 घंटे पहले
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (02-03-2013) के चर्चा मंच 1172 पर भी होगी. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंaap sabka bahut bahut dhanywaad
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