तलाश
मै तो दर दर भटक रहा था
गिरता पड़ता अटक रहा था
इधर झांकता,उधर झांकता
सड़कों पर था धूल फांकता
गाँव गाँव द्वारे द्वारे में
मंदिर मस्जिद , गुरद्वारे में
फूलों में ,कलियों,में ढूँढा
पगडण्डी,गलियों में ढूंढा
मित्रों में ,अपने प्यारों में
कितने ही रिश्तेदारों में
कुछ जानो में ,अनजानो में
सभी वर्ण के इंसानों में
भजन,कीर्तन के गानों में
युवा हो रही संतानों में
इस तलाश ने बहुत सताया
लेकिन फिर भी ढूंढ न पाया
नहीं कहीं भी ,लगा पता था
मै 'अपनापन 'ढूंढ रहा था
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक या फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर' (एफआरआई)
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साइबर धोखाधड़ी आज देश में लोगों में घबराहट के स्तर पर उतर आई है ऐसे में
भारत की सरकार द्वारा भी लगातार इसे रोकने के और साइबर अपराधियों पर लगाम कसने
उपा...
8 घंटे पहले
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 30/03/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच-1198 पर भी होगी!
सूचनार्थ...सादर!
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होली तो अब हो ली...! लेकिन शुभकामनाएँ तो बनती ही हैं।
इसलिए होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
होली की हार्दिक शुभकामनाएं ...बहुत सुन्दर।।
जवाब देंहटाएंपधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...
सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंBahut khub...
जवाब देंहटाएंSadar.
मदन मोहन जी बहुत सुन्दर रचना!
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