सचमुच हम कितने मूरख है
कोई कुछ भी कह दे,उसकी बातों में आ जाते झट है
सचमुच हम कितने मूरख है
भ्रष्टाचार विहीन व्यवस्था,और सुराज के सपने देखें
इस कलयुग में,त्रेता युग के,रामराज के सपने देखें
पग पग पर रिश्वतखोरी है,दिन दिन बढती है मंहगाई
लूटखसोट,कमीशन बाजी,सांसद करते हाथापाई
राजनीती को ,खुर्राटों ने,पुश्तेनी व्यापार बनाया
अर्थव्यवस्था को निचोड़ कर,घोटालों का जाल बिछाया
उनके झूंठे बहकावे में,फिर भी आ जाते जब तब है
सचमुच हम कितने मूरख है
कथा भागवत सुनते,मन में ,ये आशा ले,स्वर्ग जायेंगे
करते है गोदान ,पकड़कर पूंछ बेतरनी ,तर जायेंगे
मोटे मोटे टिकिट कटा कर,तीर्थ ,धाम के , करते दर्शन
ढोंगी,धर्माचार्य ,गुरु के,खुश होतें है,सुन कर प्रवचन
गंगा में डुबकियाँ लगाते,सोच यही,सब पाप धुलेंगे
रातजगा,व्रत कीर्तन करते,इस भ्रम में कि पुण्य मिलेंगे
दान पुण्य और मंत्रजाप से,कट जाते सारे संकट है
सचमुच हम कितने मूरख है
आज बीज बोकर खुश होते,अपने मन में ,आस लगा कर
वृक्ष घना होकर बिकसेगा, खाने को देगा मीठे फल
नहीं अपेक्षा करो किसी से,पायेगा दुःख ,ह्रदय तुम्हारा
करो किसी के खातिर यदि कुछ,समझो था कर्तव्य तुम्हारा
नेकी कर दरिया में डालो, सबसे अच्छी बात यही है
सिर्फ भावनाओं में बह कर के, करना दिल को दुखी नहीं है
प्रतिकार की ,आशा मन में,रखना संजो,व्यर्थ,नाहक है
सचमुच हम कितने मूरख है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
वृष लग्नवालों के लिए
-
vrish rashifal 2025 in hindi
वृष लग्नवालों के लिए
'गत्यात्मक ज्योतिष' के अनुसार सभी लोग अपने जन्मकालीन ग्रहों के अलावा गोचर
के ग्रहों की गत्यात्मक और स्थै...
4 घंटे पहले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।