आ प्रिये कि हो नयी
कुछ कल्पना - कुछ सर्जना,
आ प्रिये कि प्रेम का हो
एक नया श्रृंगार अब.....
तू रहे ना तू कि मैं ना
मैं रहूँ अब यूं अलग
हो विलय अब तन से तन का
मन से मन का - प्राणों का,
आ कि एक - एक स्वप्न मन का
हो सभी साकार अब....
अधर से अधरों का मिलना
साँसों से हो सांस का,
हो सभी दुखों का मिटना
और सभी अवसाद का,
आ करें हम ऊर्जा का
एक नया संचार अब.....
चल मिलें मिलकर छुएं
हम प्रेम का चरमोत्कर्ष,
चल करें अनुभव सभी
आनंद एवं सारे हर्ष,
आ चलें हम साथ मिलकर
प्रेम के उस पार अब....
ध्यान की ऐसी समाधि
आ लगायें साथ मिल,
प्रेम की इस साधना से
ईश्वर भी जाए हिल,
आ करें ऐसा अलौकिक
प्रेम का विस्तार अब....
- VISHAAL CHARCHCHIT
कुछ कल्पना - कुछ सर्जना,
आ प्रिये कि प्रेम का हो
एक नया श्रृंगार अब.....
तू रहे ना तू कि मैं ना
मैं रहूँ अब यूं अलग
हो विलय अब तन से तन का
मन से मन का - प्राणों का,
आ कि एक - एक स्वप्न मन का
हो सभी साकार अब....
अधर से अधरों का मिलना
साँसों से हो सांस का,
हो सभी दुखों का मिटना
और सभी अवसाद का,
आ करें हम ऊर्जा का
एक नया संचार अब.....
चल मिलें मिलकर छुएं
हम प्रेम का चरमोत्कर्ष,
चल करें अनुभव सभी
आनंद एवं सारे हर्ष,
आ चलें हम साथ मिलकर
प्रेम के उस पार अब....
ध्यान की ऐसी समाधि
आ लगायें साथ मिल,
प्रेम की इस साधना से
ईश्वर भी जाए हिल,
आ करें ऐसा अलौकिक
प्रेम का विस्तार अब....
- VISHAAL CHARCHCHIT
सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंह्रदय से आभारी हूँ आपका वंदना जी !!!!
हटाएंप्रेम असीम है , इसे सीमा पार ले जाने की अच्छी कोशिश ..सुन्दर
जवाब देंहटाएंइस स्नेहिल टिप्पणी के लिए ह्रदय से धन्यवाद सर जी !!!!
हटाएंसुंदर और बेहद प्रेममय प्रस्तुति | आपका "काव्य का संसार" में हार्दिक स्वागत है | बहुत ही सुंदर रचना के साथ सुंदर रही आपकी यह शुरुआत | इसी तरह "काव्य का संसार" में सहयोग देते रहें | आभार |
जवाब देंहटाएंआप सभी व्यवस्थापकों को ह्रदय से धन्यवाद प्रदीप भाई जी.......
हटाएंsundar rachna ...sundar bhav ...
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen ...
Dil se bahut - bahut Shukriya Anupama Ji !!!
हटाएंहिन्दी पखवाड़े की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएं--
बहुत सुन्दर प्रविष्टी!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (16-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
आपका एवं चर्चा मंच के सभी व्यवस्थापकों का मैं ह्रदय से आभारी हूँ सर जी कि आप सबने मेरी इस रचना को चर्चा के लायक समझा !!!!!
हटाएंप्रेम फागी सुंदर रचना
जवाब देंहटाएं