संयम- दो कविताये
1
चिक
मेरे शयनकक्ष में,रोज धूप आती थी सर्दी में सुहाती थी
गर्मी में सताती थी
अब मैंने एक चिक लगवाली है और धूप से मनचाही निज़ात पा ली है
समय के अनुरूप
वासना की धूप
जब मेरे संयम की चिक की दीवार से टकराती है
कभी हार जाती है
कभी जीत जाती है
२
तकिया
जिसको सिरहाने रख कर के,
मीठी नींद कभी आती थी
जिसको बाहों में भर कर के
,रात विरह की कट जाती थी
कोमल तन गुदगुदा रेशमी,
बाहुपाश में सुख देता था
जैसे चाहो,वैसे खेलो,
मौन सभी कुछ सह लेता था
वो तकिया भी ,साथ उमर के,
जो गुल था,अब खार बन गया
बीच हमारे और तुम्हारे,
संयम की दीवार बन गया
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
LESA मतलब.......
-
➡️*"LESA" का अर्थ:-*
"लीगल सर्विस असिस्टेंट" (Legal Service Assistant)। यह एक ऐसा व्यक्ति होता
है जो कानूनी क्षेत्र में काम करता है और वकीलों या कान...
16 घंटे पहले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।