आपकी खूबसूरती
आपको छूने से आ जाती जिस्म में गर्मी,
देख कर आँखों को ,ठंडक मिले गजब सी है
आपके पास में आने से पिघल जाता बदन,
आपके हुस्न की तासीर ही अजब सी है
आपके आते ही ,सारी फिजा बदल जाती,
आप मुस्काती हैं,तो जाता है बदल मौसम
एक खुशबू सी बिखर जाती है हवाओं में,
चहकने लगता है,महका हुआ सारा गुलशन
आप इतनी हसीं है और इतनी नाज़ुक है,
आपको छूने में भी थोडा हिचकता है दिल
आप में नूर खुदा का है,आब सूरज की,
चमक है चन्दा सी चेहरे पे,हुस्न है कातिल
बड़ी फुर्सत से गढ़ा है बनाने वाले ने,
उसमे कुछ ख़ास मसाला भी मिलाया होगा
देखता रह गया होगा वो फाड़ कर आँखें,
आपको रूबरू जब सामने पाया होगा
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
तटस्थता अस्तु
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तटस्थता क्या है ?
कहीं बुद्धिमानी
कहीं है स्वार्थ
कहीं चालाकी
कहीं परमार्थ
कहीं निष्क्रिय
कहीं उदासीन
कहीं कुटिल
कहीं पदासीन
कहीं समझौता
कही...
3 घंटे पहले
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