आम -आदमी
बचपन हो या जवानी,
कच्चे आम की तरह होती है,
चटपटी,खट्टी मीठी,
चटकारे ले ले कर खालो
चटनी,अचार,मुरब्बा या पना,
जो चाहो,बना लो
पर जब अनुभवों की ऊष्मा से,
उनमे पकाव आता है
तो निराली सी स्वर्णिम आभा से,
उनका रूप महक जाता है
और वो बन जाते है आम,
स्वादिष्ट, सुगन्धित,रस भरे,
जिनकी हर घूँट में मिठास होता है
खाओ या चूंसो,
संतुष्टि का आभास होता है
जीवन के इस अंतिम चरण में भी,
गजब का स्वाद होता है
रस तो रस,गुठलियों का भी दाम होता है
हर आम आदमी का जीवन,
आम होता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
चिंताहरण
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कल पत्नी जी ने अपने मन की झिझक खोली
और सहमते सहमते बोली
आजकल रोज टीवी और अखबार
बार-बार दे रहे हैं समाचार
हिंदुस्तान और पाकिस्तान
बन रहे हैं युद्ध का मैद...
6 घंटे पहले
वाह ..क्या उदाहरण देकर जीवन का सार समझाया हैं आपने ....आभार
जवाब देंहटाएंजीवन को नए नजरिये से देखने का अंदाज प्यारा है ,बधाई.
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