Negative SEO with Satisfaction Guaranteed
http://www.blackhat.to
किताब मिली - शुक्रिया - 20
-
तू है सूरज तुझे मालूम कहां रात का दुख
तू किसी रोज़ मेरे घर में उतर शाम के बाद
लौट आए ना किसी रोज़ वो आवारा मिज़ाज
खोल रखते हैं इसी आस पे दर शाम के बाद
*...
1 दिन पहले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।