चौदह दिन का क्वारंटाइन
१
एक केस कोरोना का मोहल्ले में हो गया ,
सब वासिंदों के मन को एक दहशत से भर दिया
बीमार भरती हो गया जा अस्पताल में ,
चौदह दिनों को मोहल्ले को सील कर दिया
बाहर निकल न सकता कोई ,घर में कैद है ,
सब बेक़सूर लोगों को भी मिल रही सजा ,
बारिश कहीं पे हुई थी ,कीचड कहीं पे है ,
कोविद ने ऐसा जीवन को तब्दील कर दिया
२
बदल गया है मिजाज थोड़ा मौसम का ,
हमारे जीने का अंदाज नहीं बदला है
धुन में थोड़ा सा बदलाव आ गया लेकिन ,
वो ही साजिंदे है और साज नहीं बदला है
एक मनहूसियत सी फैला दी हवाओं ने ,
एक दहशत सी गयी पसर पूरे मंजर में ,
ऐसे हालातो ने है कैद कर रखा हमको ,
सज़ा मासूम को ,रिवाज नहीं बदला है
घोटू
१
एक केस कोरोना का मोहल्ले में हो गया ,
सब वासिंदों के मन को एक दहशत से भर दिया
बीमार भरती हो गया जा अस्पताल में ,
चौदह दिनों को मोहल्ले को सील कर दिया
बाहर निकल न सकता कोई ,घर में कैद है ,
सब बेक़सूर लोगों को भी मिल रही सजा ,
बारिश कहीं पे हुई थी ,कीचड कहीं पे है ,
कोविद ने ऐसा जीवन को तब्दील कर दिया
२
बदल गया है मिजाज थोड़ा मौसम का ,
हमारे जीने का अंदाज नहीं बदला है
धुन में थोड़ा सा बदलाव आ गया लेकिन ,
वो ही साजिंदे है और साज नहीं बदला है
एक मनहूसियत सी फैला दी हवाओं ने ,
एक दहशत सी गयी पसर पूरे मंजर में ,
ऐसे हालातो ने है कैद कर रखा हमको ,
सज़ा मासूम को ,रिवाज नहीं बदला है
घोटू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।