कितने दल दल
कोरोना से छाये है दहशत के बादल
बारिश में घिरआये बादल के दल के दल
सीमा पर जमा हुए ,फौजों के दल के दल
दुनिया पर मंडराते ,विश्वयुद्ध के बादल
बार बार भूकम्पों से धरती रही दहल
ऊपर से खेतों में आ बैठा टिड्डी दल
चंद राजनैतिक दल ,दाल रहे अपनी दल
फैलाते आरोपों का कीचड और दल दल
एक साथ इतने सब ,संकट का ये दल दल
दिल में डर.नहीं बदल सकता पर भाग्य प्रबल
मदन मोहन बाहेती ;घोटू ;
कोरोना से छाये है दहशत के बादल
बारिश में घिरआये बादल के दल के दल
सीमा पर जमा हुए ,फौजों के दल के दल
दुनिया पर मंडराते ,विश्वयुद्ध के बादल
बार बार भूकम्पों से धरती रही दहल
ऊपर से खेतों में आ बैठा टिड्डी दल
चंद राजनैतिक दल ,दाल रहे अपनी दल
फैलाते आरोपों का कीचड और दल दल
एक साथ इतने सब ,संकट का ये दल दल
दिल में डर.नहीं बदल सकता पर भाग्य प्रबल
मदन मोहन बाहेती ;घोटू ;
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।