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रविवार, 21 जून 2020

सूरज देखेंगे

हमने अपनी जिन आँखों से ,देखा है चंदा का आनन,
अपनी उन आँखों से क्यों कर ,हम ग्रसता सूरज देखेंगे
जिन आँखों में बसी हुई है ,चंदा की सुन्दर मादक छवि ,
अपनी उन शीतल आँखों से ,क्यों जलता सूरज देखेंगे
चंदा का प्यारा चेहरा तो ,बसा हमारी आँखों में है ,
इसीलिए तो आसमान में ,चंदा चमकेगा आज नहीं
उसकी यादों में क्षीण हुआ ,सूरज तम से ढक जाएगा ,
दे स्वर्ण मुद्रिका उसे पटा लेगा ,करता नाराज नहीं
सूरज पर चंदा की छाया ,कैसी प्रकृति की लीला है ,
जैसे बाहों के बंधन में ,चंदा और सूरज देखोगे
कल सुबह पुनः हम प्राची से ,ले वही सुनहरी सी आभा ,
वो ही हँसता मुस्काता सा ,प्यारा सा सूरज देखेंगे

घोटू 

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