हसरत और हक़ीक़त
बहुत थी हसरतें मन में ,यहाँ जाऊं ,वहां जाऊं
खरीदूं सारी दुनिया को ,यहाँ खाऊं ,वहां खाऊं
चाह थी देख लूं दुनिया ,मगर कर पाया ना ऐसा
रह गयी दिल की सब दिल में,नहीं था पास में पैसा
उमंगों को लग गए पर ,करी जी तोड़ कर मेहनत
जवानी भर ,इसी धुन में ,बिगाड़ी अपनी सब सेहत
पास में आज पैसा है ,कमा ली ढेर सी दौलत
करूं सब शौक अब पूरे ,नहीं इतनी बची हिम्मत
बुढ़ापा आगया है अब ,कई तकलीफ़ ने घेरा
कई बीमारियों ने आ ,मेरे तन पर किया डेरा
रही ना हसरतें मन में ,बची ना है कोई ख्वाइश
गयी जब सूख फसलें तो भला किस काम की बारिश
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
बहुत थी हसरतें मन में ,यहाँ जाऊं ,वहां जाऊं
खरीदूं सारी दुनिया को ,यहाँ खाऊं ,वहां खाऊं
चाह थी देख लूं दुनिया ,मगर कर पाया ना ऐसा
रह गयी दिल की सब दिल में,नहीं था पास में पैसा
उमंगों को लग गए पर ,करी जी तोड़ कर मेहनत
जवानी भर ,इसी धुन में ,बिगाड़ी अपनी सब सेहत
पास में आज पैसा है ,कमा ली ढेर सी दौलत
करूं सब शौक अब पूरे ,नहीं इतनी बची हिम्मत
बुढ़ापा आगया है अब ,कई तकलीफ़ ने घेरा
कई बीमारियों ने आ ,मेरे तन पर किया डेरा
रही ना हसरतें मन में ,बची ना है कोई ख्वाइश
गयी जब सूख फसलें तो भला किस काम की बारिश
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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