बदलते हालात
इस तरह मौसम बदलने लग गये है
चींटियों के पर निकलने लग गये है
अपना सिक्का जमाने की होड़ में ,
खोटेसिक्के भी अब चलने लग गये है
खोलने दूकान एक बजाज की ,
चिन्दी पा ,चूहे उछलने लग गये है
चंद पत्थर बन स्वयंभू देवता ,
आस्था लोगो की छलने लग गये है
हाथ उनके एक जुगनू क्या लगा ,
चाँद पाने को मचलने लग गये है
कांव कांव छोड़ 'कुहू कू 'करे ,
कव्वे ,कोयल में बदलने लग गये है
आसमां पर चढ़ गया उनका अहम ,
गर्व के मारे उछलने लग गये है
' घोटू ' मौसम आगया बरसात का ,
टरटरा मेंढक निकलने लग गये है
घोटू
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