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शनिवार, 25 जुलाई 2015

गुलाब जामुन और रसगुल्ला

गुलाब जामुन और रसगुल्ला

जब रहा उबलता गरम दूध,उसने निज तरल रूप खोया
अग्नि ने इतना तपा दिया ,वो आज बंध  गया,बन खोया
वह खोया जब गोली स्वरूप ,था तला गया देशी घी  में
सुन्दर गुलाब सी  हुई देह , फिर डूबा गरम चाशनी में
वह नरम,गुलाबी और सुन्दर था गरम गरम सबको भाया
सबने जी भर कर लिया स्वाद ,गुलाब जामुन वो कहलाया
था दूध वही पर जब फाड़ा ,तो  रेशा  रेशा  बिखर गया
जब छाना ,पानी अलग हुआ ,वो छेना बन कर निखर गया
जब बनी गोलियां छेने की ,चीनी के रस में जब उबला
इतना डूबा वह उस रस में ,एक नया रूप लेकर निकला
वह श्वेत ,रस भरा ,स्पोंजी,जब प्लेटों में  मुस्काता है
स्वादिष्ट बहुत,मन को भाता,वह रसगुल्ला कहलाता है
रसगुल्ला और गुलाबजामुन ,ये दोनों भाई भाई  है
है  बेटे एक ही माता के  ,पर  अलग   सूरतें पायी है
है एक गुलाबी ,एक श्वेत ,एक गरम ,एक ठंडा  अच्छा
दोनों ही बड़े रसीले है, दोनों का स्वाद  बड़ा अच्छा
एक नरम मुलायम टूट जाए ,एक निचुड़ जाए पर ना टूटे
हर दावत और पार्टी में , दोनों ही वाही वाही  लूटे

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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