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शनिवार, 25 जुलाई 2015

धरम का चक्कर

         धरम का चक्कर 

हमेशा जली कटी सुनाने वाली बहू ने ,
अपनी जुबान में मिश्री घोली
और अपनी सास से बड़े प्रेम से बोली
अपने शहर में आ रहे है ,
एक नामी गिरामी संत
जो करेंगे सात दिन तक,
भागवत कथा और सत्संग 
 सुना है उनके सत्संग में ,
भक्तिरस की गंगा बहती है
इसीलिये लाखों लोगों की,
भीड़  उमड़ती रहती है
अम्माजी,आप भी पुण्य कमालो,
ऐसा मौका बार बार नहीं आएगा
ड्राइवर सुबह आपको छोड़ आएगा ,
और शाम को ले आएगा
बहू के मुख से ,ये मधुर वचन सुन ,
सासूजी  हरषाई
सोचा ,थोड़ी देर से ही सही,
बहू को सदबुद्धि तो आई
इसी बहाने हो जाएगी थोड़ी ईश्वर की भक्ती
और कुछ रोज मिलेगी ,
गृहकलह और किचकिच से मुक्ती
सास ने हामी भर दी ,
तो बहू की बांछें खिल गयी
वो भी बड़ी खुश थी ,
सात दिन की पूरी आजादी मिल गयी
न कोई रोकने वाला,न कोई टोकने वाला,
हफ्ते भर की मौज मस्ती और बहार
इसे कहते है ,एक तीर से करना दो शिकार
सास भी खुश,बहू भी खुश ,
हर घर में ऐसी ही राजनीती चलती है
अब तो आप समझ ही गए होंगे ,
आजकल सत्संगों में और तीर्थों में
,इतनी भीड़ क्यों  उमड़ती है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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