यादें -बरसात की
हमको तो बारिश में भीगे ,एक अरसा हो गया ,
मगर वो रिमझिम बरसता प्यारा सावन याद है
याद है वो नन्ही नन्ही ,बूंदों की मीठी चुभन ,
श्वेत भीगे वसन से वो झांकता तन ,याद है
पानी में तरबतर तेरा थरथरा कर कांपना,
संगेमरमर से बदन की ,प्यारी सिहरन याद है
तेरी जुल्फों से टपकती ,मोतियों की वो लड़ी,
और भीगे से अधर का , मधुर चुम्बन याद है
मांग से चेहरे बहती लाली वो सिन्दूर की,
आग तन मन में लगाता ,तेरा यौवन याद है
तेरे संग बारिश में मेरा ,छपछपा कर नाचना ,
आज भी मुझको वो अपना दीवानापन याद है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
हमको तो बारिश में भीगे ,एक अरसा हो गया ,
मगर वो रिमझिम बरसता प्यारा सावन याद है
याद है वो नन्ही नन्ही ,बूंदों की मीठी चुभन ,
श्वेत भीगे वसन से वो झांकता तन ,याद है
पानी में तरबतर तेरा थरथरा कर कांपना,
संगेमरमर से बदन की ,प्यारी सिहरन याद है
तेरी जुल्फों से टपकती ,मोतियों की वो लड़ी,
और भीगे से अधर का , मधुर चुम्बन याद है
मांग से चेहरे बहती लाली वो सिन्दूर की,
आग तन मन में लगाता ,तेरा यौवन याद है
तेरे संग बारिश में मेरा ,छपछपा कर नाचना ,
आज भी मुझको वो अपना दीवानापन याद है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।