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बुधवार, 8 जुलाई 2015

यादें -बरसात की

              यादें -बरसात की

हमको तो बारिश में भीगे ,एक अरसा हो गया ,
               मगर वो रिमझिम बरसता प्यारा सावन याद है
याद है वो नन्ही नन्ही ,बूंदों की मीठी चुभन ,
                      श्वेत  भीगे वसन से वो झांकता तन ,याद है
पानी में तरबतर तेरा थरथरा कर कांपना,
                     संगेमरमर से बदन की ,प्यारी सिहरन याद है
तेरी जुल्फों से टपकती ,मोतियों की वो लड़ी,
                      और भीगे से अधर का , मधुर चुम्बन  याद है
मांग से चेहरे बहती लाली वो सिन्दूर की,
                      आग तन मन में लगाता ,तेरा यौवन याद है
तेरे संग बारिश में मेरा ,छपछपा कर नाचना ,
                       आज भी मुझको वो अपना दीवानापन याद है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'   

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