ये रास्ते है प्यार के
पहले पकड़ा हाथ,उँगलियों को सहलाया ,
पहुँची पकड़ी,फिर उनकी बाहों तक पहुंचे
आगे बढ़ फिर उनके गालों को सहलाया ,
और फिर उनके रेशम से बालों तक पहुंचे
फिर डाला जाता है बाहुपाश का घेरा ,
एक एक कर ,फिर हर बंधन खुल जाता है
ऐसे ही बस कदम बढ़ा कर धीरे धीरे ,
'घोटू' अपनी मंजिल तक पहुंचा जाता है
'घोटू '
पहले पकड़ा हाथ,उँगलियों को सहलाया ,
पहुँची पकड़ी,फिर उनकी बाहों तक पहुंचे
आगे बढ़ फिर उनके गालों को सहलाया ,
और फिर उनके रेशम से बालों तक पहुंचे
फिर डाला जाता है बाहुपाश का घेरा ,
एक एक कर ,फिर हर बंधन खुल जाता है
ऐसे ही बस कदम बढ़ा कर धीरे धीरे ,
'घोटू' अपनी मंजिल तक पहुंचा जाता है
'घोटू '
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया अपने बहुमूल्य टिप्पणी के माध्यम से उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन करें ।
"काव्य का संसार" की ओर से अग्रिम धन्यवाद ।